व्यंग्य लेख
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जग मोहन ठाकन
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कुछ दिन तो गुजारो ; गुजरात ( माडल ) में
कांग्रेस की तरह हर बार परीक्षा में फ़ेल
होकर मुँह लटकाकर घर में चोरी छुप्पे घुसने वाला मेरा होनहार इस बार की
अर्धवार्षिक परीक्षा में पाँच विषयों में
से केवल एक में ही उतीर्ण होकर जब घर आया तो उसके चेहरे पर उदासी नहीं बल्कि आक्रोश था । एक पेपर में तो उसके कई साल से न
जाने क्यों अंक 10 % से ऊपर नहीं चढ़ पा रहे हैं ? एक अन्य पेपर , जिसमे वह पिछली
परीक्षा में पास था, उसमे भी अबकी बार वह धराशाही हो गया । मुझे इस परीक्षा
प्रणाली पर भी संदेह होने लगा है । मेरा होनहार दो विषयों में कक्षा मे सबसे अधिक
नंबर लेने के बावजूद परीक्षकों द्वारा फ़ेल
घोषित कर दिया गया। और अजीब बात यह कि कक्षा के मेरे होनहार से कम नंबरों वाले दो
दो तीन तीन छात्रों के अंकों को मिलाकर उन्हें सामूहिक रूप से उतीर्ण घोषित कर
इनाम भी दे दिया गया । खैर इतना सब कुछ होने के बाद आक्रोशित होना उसका हक है ।
परंतु जब उसने आते ही मुझसे 1900 रुपये एक
पेन खरीदने के लिए मांगे, तो मैं हैरान रह गया । मैंने आंखे तरेरी और पूछा – क्या
बात करते हो ? पेन और 1900 रुपये ? अर्रे , पेन तो पाँच –दस में ही आ जाता है ?
होनहार बोला – पापा आपका नेट काम नहीं
करता क्या ?
अब उसे क्या बताऊँ कि हमारी सोच के नेट तो उसी दिन से काम करना छोड़ गए थे , जिस
दिन विद्या बालन ने कहना शुरू किया था –“जहां सोच -वहाँ शौचालय”।
होनहार ने एक इश्तिहार मेरे सामने रख
दिया जो उसने कहीं नेट की किसी साइट से डाउनलोड किया था। गुजराती भाषा में छपे इस पर्चे में एक
गुजराती मंदिर ने दावा किया बताया है कि
मंदिर द्वारा 1900 रुपये की कीमत पर बेची जा रही एक विशेष कलम (पेन) द्वारा दी गई
परीक्षा में विद्यार्थी कभी फ़ेल नहीं होता । मंदिर ने तो यहाँ तक दावा किया है कि
यदि इस कलम का प्रयोग करने के बावजूद भी परीक्षार्थी पास नहीं होता है, तो पैसे वापस कर दिये जाएंगे ।
मेरे दिमाग के ढीले पड़ चुके नेट कुछ थरथराने लगे
। गत वर्ष हरियाणा से राज्यसभा चुनाव
में भी एक विशेष प्रकार की पेन का
इस्तेमाल किया गया था। अब मुझे कुछ कुछ यकीन होने लगा है कि वो गुजराती करामाती
कलम ही रही होगी , जिसके सहारे कम वोटों के आसरे भी चुनाव लड़ने वाले बहुमत पा सके और चुनाव
जीत कर धन्य हो गए । धन्य है गुजराती कलम , धन्य है गुजराती
माडल । मित्रों , अब तो अमिताभ बच्चन का कहा मानकर कुछ दिन तो गुजारो गुजरात
(माडल) में । हाँ , पर चीख चीख कर यू पी चुनाव में ई वी एम मशीन पर सवाल उठाने वाली मायावती जी की बात भी सुन
लो, कहीं वहाँ भी गुजराती माडल का प्रयोग तो नहीं किया गया है । क्योकि गुजराती
माडल देता है परीक्षा में 100 % सफलता की गारंटी ।
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