Wednesday 19 October 2016

हरियाणा
क्या पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा भी होंगें सलाखों के पीछे ?
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जग मोहन ठाकन
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क्या हरियाणा में एक और पूर्व मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार के मामले में सलाखों के पीछे होगा ? यह यक्ष प्रश्न हरियाणा के राजनैतिक गलियारों में गैस से भरे गुब्बारों की तरह उछल रहा है ।  उल्लेखनीए है कि
  वर्ष 2000 में की गई 3206 जे बी टी अध्यापकों की भर्ती घौटाले में पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश  चौटाला  अपने पूर्व सांसद पुत्र अजय सिंह चौटाला तथा तीन अन्य के साथ जेल में दस वर्ष की सजा काट रहे हैं ।  सच्चाई भले ही कुछ भी हो परंतु इस मामले में पिता –पुत्र की यह सजा करवाने में आमजन में तत्कालीन मुख्यमंत्री हुड्डा की अहम भूमिका मानी जा रही है । यहाँ पर यह भी कथनीय है कि चौटाला तथा हुड्डा  का आपस में 36 का आंकड़ा  है एवं दोनों का वोट  बैंक  भी कुछ हद तक सांझा माना जाता है , इसीलिए दोनों ही एक दूसरे की राजनैतिक हत्या करने को आतुर रहते हैं । कोंग्रेसी सरकार के समयाकाल में   जे बी टी भर्ती घौटाले  में चौटाला को जेल की सजा होने  से वर्ष 2014 के लोकसभा एवं विधान सभा चुनावों में इंडियन नेशनल लोक दल की कुर्सी प्राप्ति की लालसा पर पानी फिर गया था । परंतु समय का पहिया कभी थमता नहीं है और कौन कब इसकी चक्रियों में फंस जाये , इसका कोई पूर्वानुमान नहीं लगा सकता ।
  हुड्डा सरकार के समय करवाई गई जे बी टी घौटाले की जांच के समय हुड्डा ने शायद  कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा कि वही जांच एजन्सीयाँ कभी उन्हें भी कटघरे में खड़ा कर देंगी । हाल में प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा के खिलाफ असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड ( ए जे  एल ) को पंचकुला में अलाट किए गए एक प्लॉट में बरती गई अनियमितताओं  को लेकर मामला दर्ज किया है ।
क्या  है मामला ?
वर्ष 1982 में हरियाणा की तत्कालीन कोंग्रेसी सरकार ने काँग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड तथा  दैनिक नवजीवन की कंपनी  असोसिएटेड  जर्नल लिमिटेड  ( ए जे एल )को हरियाणा की राजधानी  चंडीगढ़  से सटे पंचकुला के बेशकीमती सैक्टर 6 में तीन हज़ार वर्ग मीटर  से अधिक का एक प्लॉट अलाट किया था । परंतु ए जे एल द्वारा हरियाणा शहरी विकास  प्राधिकरण के नियमों की अनुपालना न कर पाने के कारण 1996 में हरियाणा विकास पार्टी की बंसीलाल  सरकार ने इस आबंटन को रद्द कर दिया था । लेकिन जब 2005 में हुड्डा के नेतृत्व में पुनः  काँग्रेस सत्तासीन हुई तो 29 जून 2006 को तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं प्राधिकरण के पदेन चेयरमन भूपेन्दर सिंह हुड्डा  ने  दौबारा एजेएल  को  ही पुराने रेट पर ही यह प्लॉट  अलाट कर दिया । इससे  अब सरकार को लगभग 65 लाख के नुकसान का आंकलन किया जा रहा है ।
    हरियाणा स्टेट विजिलेंस ब्यूरो द्वारा मई 2016 में दर्ज की गई एफ आई आर का संज्ञान  लेते हुए अब  प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्दर सिंह हुड्डा व अन्य के खिलाफ मनी लौंडेरिंग  का मामला दर्ज किया है ।  भारतीय दण्ड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत धौखा धड़ी , आपराधिक षड्यंत्र तथा भ्रष्टाचार निरोधक कानून सहित अन्य अपराधों के अन्तर्गत आरोप दर्ज हुए हैं । आरोप लगाया गया है कि इस प्लॉट आबंटन में नियमों की अनदेखी की गई है तथा नियमानुसार  इस प्लॉट का सीधे ए जे एल को आबंटन की बजाय खुली बोली के माध्यम से आबंटन किया जाना चाहिए था , जिसके कारण  तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं हरियाणा  शहरी विकास प्राधिकरण के पदेन चेयरमन भूपेन्दर सिंह हुड्डा तथा अन्य अधिकारियों ने प्राधिकरण को वृहद नुकसान पहुंचाया । काँग्रेस प्रधान सोनिया गांधी  के दामाद रोबर्ट वाड्रा को एक अन्य जमीन आबंटन को लेकर भी हुड्डा आरोपों के घेरे में हैं । दस वर्ष की सजा काट रहे  पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के पुत्र तथा हरियाणा विधान सभा में विपक्ष के नेता अभय चौटाला का भी आरोप है कि पंचकुला के पॉश सैक्टर 6 में 3360 वर्ग मीटर के इस प्लॉट  का नियमों को ताक पर रखकर ए जे एल को पुनः आबंटन की इस  प्रक्रिया को प्रारम्भ  करने में तत्कालीन मुख्यमंत्री  हुड्डा ने पहल की । हालांकि इस मामले में प्राधिकरण को लगभग 65 लाख रुपये के नुकसान की बात कही जा रही है परंतु पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने इसे राजनीतिक विद्वेष से की जा रही कारवाई बताया है और कहा है कि इसमे किसी भी प्रकार का गलत आचरण नहीं हुआ है । अखिल भारतीय काँग्रेस कमेटी के महासचिव दिग्विजय सिंह भी इसे केंद्र सरकार की राजनीतिक कारवाई बता रहे हैं ।
 अभी तो मामला शुरुआती दौर में है , यह तो आने वाला समय ही तय करेगा कि क्या यह केस केवल राजनैतिक विरोधियों को दबाने के लिए प्रयोग किया जाने वाला एक दाव मात्र ही सिद्ध होगा  या फिर पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा को भी एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की बगल में जेल की सलाखों के पीछे ले जाकर खड़ा कर देगा ?
 हुड्डा का राजनीतिक सफरनामा
रोहतक ,हरियाणा के गाँव सांघी में जन्मे 69 वर्षीय भूपेन्दर सिंह हुड्डा के पिता रणबीर सिंह हुड्डा स्वतन्त्रता सेनानी रहे हैं । भूपेन्दर सिंह हुड्डा ने वर्ष 1972 में अपना राजनीतिक कैरियर शुरू किया था तथा काँग्रेस में विभिन्न पदों पर रहते हुए चार बार संसद के सदस्य निर्वाचित हुए । हुड्डा ने वर्ष 1991 , 1996 तथा 1998 में लोकसभा चुनावों में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एवं सशक्त किसान नेता चौधरी देवी लाल को पटकनी देकर राजनीति की बेल्ट जीती ।  हुड्डा पहली बार 2005 में हरियाणा के मुख्यमंत्री बने तथा दूसरी लगातार अवधि में भी 2009 से 2014 तक मुख्यमंत्री रहे । वर्ष 2014 में काँग्रेस  में मची उठापटक एवं गुटबंदी के कारण भाजपा की लहर की चपेट में आकर सत्ता खो बैठे और अब कठिन राजनीतिक दौर से गुजर रहे हैं ।
क्या कहते है हुड्डा ?
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  बदले की भावना से राजनीति करने वाली भाजपा सरकार को मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ कि झूठे मुकद्दमों से डर कर मैं जनता की आवाज़ उठाना बंद नहीं करूंगा ।
(चंडीगढ़ प्रैस कोन्फ्रेंस के दौरान हुड्डा। फोटो भी संलग्न  )




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